भारत में आउटसोर्स कर्मचारियों के अधिकारों के बारे में सरकार ने कुछ नियम और कानून बनाए हैं ताकि उन्हें भी समान अधिकार मिलें और उनका शोषण न हो। यहाँ कुछ प्रमुख अधिकार और कानूनी प्रावधान दिए गए हैं जो आउटसोर्स कर्मचारियों पर लागू होते हैं:
1. मजदूरी का अधिकार:
न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948: सभी कर्मचारियों, चाहे वे सीधे नियोजित हों या आउटसोर्स किए गए हों, उन्हें न्यूनतम मजदूरी प्राप्त करने का अधिकार है। यह मजदूरी राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है और क्षेत्र के आधार पर भिन्न हो सकती है।
2. समान काम के लिए समान वेतन:
समान वेतन अधिनियम, 1976: पुरुष और महिला कर्मचारियों को समान कार्य के लिए समान वेतन प्राप्त करने का अधिकार है, चाहे वे किसी भी प्रकार के रोजगार में क्यों न हों।
3. ईपीएफ और ईएसआई का लाभ:
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और कर्मचारी राज्य बीमा (ESI) जैसे सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों का लाभ सभी पात्र कर्मचारियों को मिलता है। यदि कोई कर्मचारी इन योजनाओं के तहत आता है, तो उन्हें संबंधित लाभों का अधिकार होता है, चाहे वे आउटसोर्स किए गए हों या नहीं।
4. ग्रेच्युटी का अधिकार:
ग्रेच्युटी अधिनियम, 1972 के तहत, यदि कोई कर्मचारी 5 साल या उससे अधिक समय तक एक ही नियोक्ता के साथ काम करता है, तो उसे ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है। आउटसोर्स कर्मचारियों को भी यह लाभ मिलता है, बशर्ते वे योग्य हों।
5. ठेका श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970:
यह अधिनियम ठेका कर्मचारियों के अधिकारों और उनके कामकाजी परिस्थितियों को नियंत्रित करता है। इसमें ठेका कर्मचारियों के लिए उचित कामकाजी परिस्थितियों, समय पर वेतन भुगतान, और स्वास्थ्य व सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है।
प्रधान नियोक्ता की जिम्मेदारी: यदि ठेकेदार (आउटसोर्सिंग एजेंसी) अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन देने में विफल रहता है, तो प्रधान नियोक्ता (जिस कंपनी के लिए काम किया जा रहा है) पर भी इसे चुकाने की जिम्मेदारी होती है।
6. श्रमिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के अधिकार:
कारखाना अधिनियम, 1948 और अन्य संबंधित कानून सभी कर्मचारियों के लिए काम करने के सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण की गारंटी देते हैं।
7. अन्य अधिकार:
साप्ताहिक अवकाश: कर्मचारियों को प्रति सप्ताह कम से कम एक दिन का अवकाश मिलना चाहिए।
महिलाओं के लिए मातृत्व लाभ: महिलाओं को मातृत्व लाभ का अधिकार है, जिसमें अवकाश और वेतन शामिल हैं।
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा: महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा का अधिकार है, जिसके लिए विशाखा दिशानिर्देश और अधिनियम लागू होते हैं।
8. शिकायत निवारण का अधिकार:
आउटसोर्स कर्मचारियों को किसी भी प्रकार की समस्या या शोषण का सामना करने पर श्रम अदालतों में शिकायत दर्ज करने का अधिकार है। वे श्रम विभाग से भी सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
9. स्थायित्व और नियमितीकरण:
कुछ परिस्थितियों में, यदि कर्मचारी लंबे समय से एक ही संगठन में काम कर रहा है, तो उसे स्थाई कर्मचारी के रूप में मान्यता दी जा सकती है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले भी मौजूद हैं।
10. फ्रिंज बेनिफिट्स और बोनस:
कर्मचारियों को बोनस का अधिकार है, जिसे बोनस भुगतान अधिनियम, 1965 के तहत विनियमित किया गया है।
इन कानूनों और अधिकारों का उद्देश्य आउटसोर्स कर्मचारियों के हितों की रक्षा करना है। यह सुनिश्चित करता है कि उन्हें भी उचित वेतन, सामाजिक सुरक्षा, और अच्छे कामकाजी माहौल का लाभ मिले। अगर इन अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो कर्मचारी कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते हैं।