Lebanon Pager Blast: हैकिंग, चिप बम और मोसाद की तबाही वाली प्लानिंग... लेबनान पेजर अटैक पर उठ रहे सवाल
लेबनान में पेजर विस्फोट
लेबनान, 18 सितंबर 2024 - लेबनान की राजधानी बेरुत में हाल ही में हुए पेजर विस्फोट ने एक बार फिर से वैश्विक सुरक्षा एजेंसियों और विशेषकर मोसाद (इजरायली खुफिया एजेंसी) के दखल पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस विस्फोट ने न केवल स्थानीय सुरक्षा बलों को बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी चौंका दिया है। इस घटना ने हैकिंग, चिप बम और मोसाद की संभावित संलिप्तता को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं।
घटनाक्रम
17 सितंबर 2024 को बेरुत में एक भीषण पेजर विस्फोट हुआ जिसमें कई लोग घायल हुए और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा। प्रारंभिक जांच के अनुसार, विस्फोट एक पेजर में छुपाए गए चिप बम द्वारा किया गया था, जिसे विशेष रूप से हैकिंग के जरिए सक्रिय किया गया था। इस तकनीक की जटिलता ने इसे एक खुफिया और तकनीकी ऑपरेशन के संकेत दिए हैं।
हैकिंग और चिप बम
विशेषज्ञों का कहना है कि पेजर में लगाए गए चिप बम को एक असामान्य और अत्याधुनिक हैकिंग तकनीक द्वारा सक्रिय किया गया था। यह एक ऐसा तरीका है जिसमें पेजर के माध्यम से बम की विस्फोटक प्रणाली को दूर से नियंत्रित किया जाता है। इससे यह संभावना जताई जा रही है कि यह हमला एक तकनीकी रूप से उन्नत संगठन द्वारा किया गया हो सकता है, जो ऐसे विशिष्ट उपकरणों को अपने नियंत्रण में रखने में सक्षम हो।
मोसाद की भूमिका
इस विस्फोट की घटनाओं की जांच में मोसाद के संभावित संलिप्तता की भी बातें सामने आ रही हैं। मोसाद, जो कि इजरायल की खुफिया एजेंसी है, अक्सर अपनी अत्याधुनिक तकनीकों और गुप्त अभियानों के लिए जानी जाती है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि मोसाद का इस घटना में हाथ हो सकता है, विशेष रूप से अगर यह हमला किसी रणनीतिक या राजनीतिक उद्देश्य के लिए किया गया हो।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस घटना ने न केवल लेबनान बल्कि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा समुदाय को भी चौकस कर दिया है। कई देशों ने इस हमले की निंदा की है और लेबनान सरकार को सुरक्षा व्यवस्था को सख्त करने का आह्वान किया है। वहीं, जांच एजेंसियां इस घटना के पीछे की सच्चाई जानने के लिए गहन जांच कर रही हैं और संभावित संदिग्धों पर नजर रखी जा रही है।
निष्कर्ष
लेबनान में हुआ यह पेजर विस्फोट एक जटिल और बहुआयामी मुद्दे को उजागर करता है। हैकिंग, चिप बम, और संभावित खुफिया एजेंसियों की भूमिका ने इसे एक वैश्विक सुरक्षा चिंता बना दिया है। अब यह देखना होगा कि जांच के बाद क्या सच्चाई सामने आती है और कैसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस चुनौती का सामना करता है।