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India vs US Trade War: मोदी का कृषि, डेयरी-मछली पालन पर करारा जवाब amid 50% Tariff Dispute

भारत-अमेरिका ट्रेड वार: डेयरी, मछली पालन और 50% टैरिफ विवाद

भारत-अमेरिका ट्रेड वार: डेयरी, मछली पालन और 50% टैरिफ विवाद

प्रकाशित: 10 अगस्त 2025 · विशेष रिपोर्ट

हाल ही में अमेरिका और भारत के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव ने डेयरी और मछली पालन क्षेत्र को केंद्र में ला दिया है। अमेरिका ने इन क्षेत्रों में 50% टैरिफ लगाने और अपने उत्पाद भारत में बेचने की रणनीति अपनाई, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कह दिया है कि वे भारत के कृषि और मत्स्य उद्योग को बर्बाद नहीं होने देंगे।

भारतीय डेयरी फार्म
भारतीय डेयरी फार्म — भारत का दुग्ध उद्योग ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है

पृष्ठभूमि — अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव

अमेरिका और भारत के बीच लंबे समय से व्यापारिक रिश्ते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर मतभेद सामने आए हैं। अमेरिका का आरोप है कि भारत अपनी घरेलू इंडस्ट्री को बचाने के लिए विदेशी उत्पादों पर अधिक टैरिफ लगाता है। वहीं भारत का तर्क है कि यह उसकी कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।

2025 में इस विवाद ने नया मोड़ तब लिया जब अमेरिका ने डेयरी उत्पादों और मछली पालन से जुड़े उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाने की धमकी दी और बदले में अपने उत्पादन को भारतीय बाजार में उतारने की कोशिश की।

अमेरिका का मकसद — भारतीय बाजार में घुसपैठ

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा डेयरी सेक्टर पर निर्भर करता है। इसी तरह, मछली पालन भी भारत के तटीय राज्यों और ग्रामीण इलाकों में रोजगार का मुख्य साधन है। अमेरिका के पास उच्च-प्रसंस्कृत डेयरी और समुद्री उत्पादों का भंडार है, जिन्हें वह भारतीय बाजार में बेचना चाहता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका का यह कदम न केवल भारतीय किसानों और मछुआरों को प्रतिस्पर्धा में कमजोर कर देगा, बल्कि विदेशी निर्भरता भी बढ़ा सकता है।

मोदी जी का रुख — 'भारत को बर्बाद नहीं होने देंगे'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर स्पष्ट कहा कि भारत अपने किसानों और मछुआरों के हितों से समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा, "भारत के कृषि प्रधान स्वरूप को कोई खत्म नहीं कर सकता। हम हर हाल में अपने देशवासियों के हित में निर्णय लेंगे।"

मोदी जी ने अमेरिका को चेतावनी दी कि इस तरह का दबाव भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक है और यह स्वीकार्य नहीं है।

भारत की रणनीति — आत्मनिर्भर भारत की ओर

इस विवाद के बाद भारत सरकार ने डेयरी और मत्स्य पालन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाने की घोषणा की। इनमें आधुनिक प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना, किसानों के लिए सब्सिडी बढ़ाना, और घरेलू बाजार में उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद उपलब्ध कराना शामिल है।

इसके अलावा, भारत अपने निर्यात को नए बाजारों में बढ़ाने की कोशिश भी कर रहा है ताकि अमेरिका के दबाव का असर कम हो।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

अमेरिका के इस कदम की आलोचना कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हुई है। कुछ देशों ने इसे व्यापारिक ब्लैकमेल की श्रेणी में रखा, जबकि अन्य ने इसे अमेरिका के ‘फ्री मार्केट’ सिद्धांत के खिलाफ बताया। वहीं, कई विकासशील देशों ने भारत के रुख की सराहना की है।

भविष्य की संभावनाएँ

अगर यह विवाद सुलझता नहीं है, तो दोनों देशों के बीच एक लंबा ट्रेड वार चल सकता है। इससे न केवल डेयरी और मछली पालन, बल्कि अन्य कृषि उत्पाद, टेक्सटाइल और IT सेवाओं पर भी असर पड़ सकता है।

हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि भारत और अमेरिका दोनों के लिए एक संतुलित व्यापारिक समझौता सबसे अच्छा समाधान होगा।

वीडियो रिपोर्ट

ऊपर दिया गया वीडियो इस विवाद का समाचार सारांश पेश करता है।

यह रिपोर्ट विभिन्न मीडिया स्रोतों और विशेषज्ञ विश्लेषण के आधार पर तैयार की गई है।

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