अगर भारत को वीटो पावर मिल जाए तो क्या होगा?
लेखक: निश्पक्ष न्यूज़ टीम | प्रस्तुति: www.jobnotifi.com
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) दुनिया का सबसे शक्तिशाली संगठन है, जहां किसी भी बड़े वैश्विक निर्णय का अंतिम फैसला होता है। इस परिषद में पांच देशों को "वीटो पावर" दी गई है – अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन। भारत पिछले कई दशकों से इस विशेष सदस्यता की मांग कर रहा है। सवाल है – अगर भारत को यह वीटो पावर मिल जाए तो क्या होगा?
भारत की वर्तमान स्थिति
भारत वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का गैर-स्थायी सदस्य है। उसे मत देने का अधिकार तो है, लेकिन किसी प्रस्ताव को रोकने का “वीटो” अधिकार नहीं है। वीटो पावर का मतलब है कि कोई भी स्थायी सदस्य किसी प्रस्ताव को अकेले ही रोक सकता है, चाहे बाकी सभी देश उसके पक्ष में हों।
क्यों जरूरी है भारत को वीटो पावर?
भारत विश्व की सबसे बड़ी लोकतंत्र है और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था। इसके पास परमाणु शक्ति, अंतरिक्ष तकनीक और वैश्विक प्रभाव है। फिर भी, उसे सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल नहीं किया गया है। यह असंतुलन भारत की कूटनीति के लिए लंबे समय से एक चुनौती रहा है।
भारत का तर्क है कि संयुक्त राष्ट्र की संरचना 1945 की दुनिया पर आधारित है, जबकि आज का विश्व पूरी तरह बदल चुका है। ऐसे में, विकासशील और जनसंख्या-प्रधान देशों का प्रतिनिधित्व बढ़ना चाहिए।
अगर भारत को वीटो पावर मिल जाए तो बदलाव क्या होंगे?
| श्रेणी | देश / समूह | प्रभाव | कारण |
|---|---|---|---|
| ✅ फायदा | भारत | विश्व राजनीति में बड़ा प्रभाव | भारत चीन के बराबर शक्ति बन जाएगा और दक्षिण एशिया का प्रतिनिधित्व करेगा। |
| ✅ फायदा | अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस | रणनीतिक साझेदारी मजबूत | भारत लोकतांत्रिक संतुलन बनाए रखेगा, चीन को संतुलित करेगा। |
| ⚖️ मिश्रित प्रभाव | जापान, जर्मनी, ब्राजील | आंशिक फायदा | भारत की सफलता से उनके लिए भी रास्ता खुलेगा। |
| ⚠️ नुकसान | चीन | राजनीतिक नुकसान | एशिया में भारत उसका प्रमुख प्रतिद्वंदी बन जाएगा। |
| ⚠️ नुकसान | पाकिस्तान | कूटनीतिक दबाव | भारत आतंकवाद और सीमा विवादों में उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर घेर सकेगा। |
विश्व राजनीति पर असर
अगर भारत को वीटो पावर मिलती है तो संयुक्त राष्ट्र की शक्ति-समता में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा। भारत एक “बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था” की दिशा में अग्रसर करेगा, जहां शक्ति केवल पश्चिमी देशों के पास नहीं रहेगी।
भारत अफ्रीका, एशिया और दक्षिण अमेरिका जैसे विकासशील देशों की आवाज को भी मंच देगा। यह संतुलन दुनिया को और निष्पक्ष तथा न्यायपूर्ण बनाएगा।
चीन और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
चीन ने हमेशा भारत की वीटो सदस्यता का विरोध किया है। उसका मानना है कि इससे एशिया में उसका वर्चस्व घटेगा। वहीं पाकिस्तान के लिए यह एक झटका होगा, क्योंकि भारत के वीटो पावर से उसका आतंकवाद पर बचाव करना मुश्किल हो जाएगा।
निष्कर्ष
भारत की वीटो पावर सदस्यता केवल एक पद नहीं होगी, बल्कि यह विश्व राजनीति में भारत के योगदान का सम्मान भी होगी। यह कदम न केवल भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूत करेगा, बल्कि दुनिया को एक “न्यायपूर्ण और संतुलित मंच” प्रदान करेगा।
संयुक्त राष्ट्र को अब यह समझना होगा कि बिना भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के, वैश्विक निर्णय अधूरे हैं। आने वाले समय में भारत का वीटो पावर सदस्य बनना निश्चित रूप से दुनिया के इतिहास में एक नया अध्याय लिखेगा। 🇮🇳
